Friday, June 24, 2011

मै सोता रहा तेरी यादों के चराग जला कर

मै सोता रहा तेरी यादों के चराग जला कर, लगा गयी आग एक हलकी सी हवा आ कर, इसे मेरी बदनसीबी नहीं तो और क्या कहोगे, प्यासा रहा मै दरिया के इतने पास जा कर, आज जब तेरी पुरानी तस्वीरों को पलटा मैंने, हंसती है कैसे देखो ये भी मुझे रुला कर, किस्मत ने दिया धोखा और ...खो दिया तुझे, क्या करूँगा मै अब सारा जहाँ पा कर, दिल की गहराइयों मे कितने उतर गए हो तुम, कोई देख भी नहीं सकता उतनी गहराइयों मे जा कर, जब तुमने कहा मुझसे के मेरे नहीं हो तुम, लगा जैसे मौत चली गयी हो मुझको गले लगा कर.....

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